तब तेरे पहलू में आये
कितने तीर नज़र के खाये
तब तेरे पहलू में आये
मुझको जादू में बाँध दिया
कितनी प्यारी हो तुम हाये
जब-जब छवि में देखूँ तोरी
तब-तब मोरा जी ललचाये
प्रेम नगर में बसना अच्छा
जब जब सोचूँ मन भर आये
दूर कहाँ फिर रहना मुमकिन
पहलू में जब क़िस्मत लाये