“तब तुम क्या करती”
सुनो मेरे कुछ सवाल है,
जवाब नहीं चाहता हूँ तुमसे, हो सके तो बस ख़ुद को जवाब दे देना,
मैं अगर तुम्हारे जैसा करता तब तुम क्या करती?
मैं तुम्हारे सामने किसी और का हाथ थाम चले जाता तब तुम क्या करती?
वो प्यार में जो कसमें मैंने तुम्हारे लिए खाई थी, आज वही कसमें किसी और के लिए खाता तब तुम क्या करती?
रात-रात भर जग के जो तूमसे बातें करता था आज किसी और से साथ करता तब तुम क्या करती?
वो दो❤️❤️ दिल वाला स्टेटस तुम्हारे लिए लगता था, अब वही स्टेटस किसी और के लिए लगा के उसको दो पल का सुकून बता के किसी और के साथ रात बिताने जाता तब तुम क्या करती?
जो कवितायें जो नज़्में मैं कभी तुम्हारे लिए लिखा करता था आज किसी और के लिए लिखता तब तुम क्या करती?
जो कभी तुम्हारा हक़ था मुझपे आज किसी और का हक़ होता तब तुम क्या करती?
मैं किसी गैर के साथ बिस्तर में होता वो अपनी उंगलियों से मेरी नंगी पीठ को सहला रहा होता ये सोच कर जब-जब तुम पागल सी हो जाती तब तुम क्या करती?
दिल जलता जब और ख्यालों ने तुम्हें घेरा होता , चीख़ने का मन करता ख़ुद से ख़ुद ही में और आँखों से आँसू बह रहे होते तब तुम क्या करती?
नींद के लिए भी दावा का सहारा लेना पड़ता जब और फ़िर मुझे सपने में देख के अचानक नींद से जाग उठती और बेचैनी से बदन टूटने लगता तब तुम क्या करती?
मेरे से बात करने का मन जब-जब करता और मैंने तुम्हें ब्लॉक किया होता तब तुम क्या करती?
दिल में दर्द भरा होता सुनने वाला कोई ना होता तब तुम क्या करती?
इन सवालों के जवाब हो सके तो कभी ख़ुद को दे देना और बताना ख़ुद को तब तुम क्या करती?
-लोहित टम्टा