तब चीर का मैंने हरण तत्काल रुकवाया
माधुरी छंद
२२१२ २२१२ २२१२ २२
जब जब बढा है पाप भू पर मैं यहां आया।
जब जब घटा है पुण्य भू पर मैं यहां आया।।
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मैं ही बना हूं राम दशरथ पाप हरने को,
मैंने लिया भू पर जनम उद्धार करने को।।
बस तार दी मैंने अहिल्या पांव से छूकर,
उद्धार करने मैं जगत का फिर यहां आया।।
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जब पाप रावण का हुआ संसार को घातक।
संताप से पीड़ित सभी जन मर रहे जातक।
तब पापियों के पाप से बस मुक्त करने को
सत् कर्म का विस्तार करने मैं यहां आया।।
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कृष्णा बना जब पाप भू पर हो गया भारी।
मैंने हटाई दीनता इस सृष्टि की सारी।।
तब कंस का भी बध किया मैंने लड़कपन में।
कर पूतना बध दिव्यता का भान करवाया।
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जब पाप कर्मों से हुई धरती ये शर्मिंदा।
जब पापियों के पाप की होती न थी निंदा।
जब चीर खींचा जा रहा मुश्किल हुआ जीना,
तब चीर का मैंने हरण तत्काल रुकवाया।
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