तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है।
तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है।
इस कदर यह आसमां नाराज़ क्यो हैं।
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देखिये क्या है निग़ाहों की गली में।
कमज़ोर होती जा रही आवाज़ क्यों है।
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बारहा लगता है इत्तेफ़ाक है सब।
सोचता हूँ मुझको खुद पर नाज़ क्यों है।
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हश्र बीते कल का है किसने बताया।
आगाज़ से पहले डरा यह आज क्यों है।