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10 Aug 2021 · 1 min read

तबो समधी के जीउ ललचाई रे

भले बारहो विजन परोसाई रे,
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।

जवने सड़किया से समधी जी आइबि,
देबऽ बेला-चमेली बरसाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।

जवने कुरुसिया प समधी जी बइठबि,
देबऽ सोने के पालिश कराई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।

जवने रे मेंजवा प समधी जी खाइबि,
देबऽ हीरा-मोती से जड़वाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।

जवने रे पनिया के समधी जी पीयबि,
ओहिमें अमरित तू देबऽ ढरकाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।

जवने सेजरिया प समधी जी सूतबि,
देबऽ मखमल के चादर बिछाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।

जवने सवरिया से समधी जी जाइबि,
ओहिमें भर भर के रुपिया ठुसाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।

– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 09/05/2000

4 Likes · 1 Comment · 579 Views
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