तबो समधी के जीउ ललचाई रे
भले बारहो विजन परोसाई रे,
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।
जवने सड़किया से समधी जी आइबि,
देबऽ बेला-चमेली बरसाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।
जवने कुरुसिया प समधी जी बइठबि,
देबऽ सोने के पालिश कराई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।
जवने रे मेंजवा प समधी जी खाइबि,
देबऽ हीरा-मोती से जड़वाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।
जवने रे पनिया के समधी जी पीयबि,
ओहिमें अमरित तू देबऽ ढरकाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।
जवने सेजरिया प समधी जी सूतबि,
देबऽ मखमल के चादर बिछाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।
जवने सवरिया से समधी जी जाइबि,
ओहिमें भर भर के रुपिया ठुसाई रे-
तबो समधी के जीउ ललचाई रे।
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 09/05/2000