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30 Aug 2021 · 1 min read

तबियत

प्रश्न
बत्तियां बुझी क्यों है
चेहरे के आपकी
लगता है अजीबोगरीब
घटित हुआ है कुछ
वरना चुप न रहते तुम

चुप्पी मजबूर करती है
कुछ सोचने के लिए
तह में जाने के लिए कहती
पर हो समाधान जब
मौन टूटे तुम्हारा

आओ पास बैठों मेरे
हाल दिल का कह भी डालो
सखा ,माता,पिता ,भाई
जो चाहे मान लो मुझे
और सुना दो हाल मुझे

उत्तर
सखा हो तुम मेरे
तो सुनो बात जरा मेरी
हृदय सरोवर में
विकसित हो चुका है
प्रेम का कमल

क्यों न बुझे दिल की
फिर बत्तियां
साँवली सलोनी सी
मानो खुदा की गढी
कोई मूरति हो

फिर क्यों न फूटे मन में
प्रेम का अंकुर
विकल है तभी तो हृदय
सुनसान है दिन
बुझी है रात

Language: Hindi
80 Likes · 696 Views
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