तबियत
प्रश्न
बत्तियां बुझी क्यों है
चेहरे के आपकी
लगता है अजीबोगरीब
घटित हुआ है कुछ
वरना चुप न रहते तुम
चुप्पी मजबूर करती है
कुछ सोचने के लिए
तह में जाने के लिए कहती
पर हो समाधान जब
मौन टूटे तुम्हारा
आओ पास बैठों मेरे
हाल दिल का कह भी डालो
सखा ,माता,पिता ,भाई
जो चाहे मान लो मुझे
और सुना दो हाल मुझे
उत्तर
सखा हो तुम मेरे
तो सुनो बात जरा मेरी
हृदय सरोवर में
विकसित हो चुका है
प्रेम का कमल
क्यों न बुझे दिल की
फिर बत्तियां
साँवली सलोनी सी
मानो खुदा की गढी
कोई मूरति हो
फिर क्यों न फूटे मन में
प्रेम का अंकुर
विकल है तभी तो हृदय
सुनसान है दिन
बुझी है रात