तबकी बात और है,
तबकी बात और है,
ना करो तबकी बातें,
थे तब भी लेकिन,
जख्म हँसते ना थे।
होंगे सांप तब भी,
यकीनन आस्तीनों में,
रहते थे खामोश,
तब ये डसते ना थे ।।
@ नील पदम्
तबकी बात और है,
ना करो तबकी बातें,
थे तब भी लेकिन,
जख्म हँसते ना थे।
होंगे सांप तब भी,
यकीनन आस्तीनों में,
रहते थे खामोश,
तब ये डसते ना थे ।।
@ नील पदम्