Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Dec 2024 · 1 min read

तपती दोपहरी

धधक रही है सूर्य ताप से दोपहरी
आकुल व्याकुल हैं जनमानस
पशु-पक्षी, जीव जंतु, कीड़े मकोड़े
पेड़ पौधे और वनस्पतियाँ।
सूख गये सब ताल तलैया, झील पोखर
नदियां नाले सदृश हो गये हैं
जल स्रोत कराह रहे हैं।
सड़कों पर वीरानी छाई है
बीमारियां बढ़ रही हैं
जीवन पर संकट बढ़ रहा है
यह प्रकृति का कहर है
जिसे हमने आपने खुला आमंत्रण दिया है।
हम धरती से दुश्मनी सी निभा रहे हैं
हरियाली विहीन धरा का नव निर्माण कर रहे हैं
जल स्रोतों, तालाबों, झील, पोखरों, कुओं को
मिटाने पर जोर शोर से आमादा है,
नदियों नालों पर अतिक्रमण बड़ी शान से कर रहे हैं,
और अब तपती दोपहरी में विलाप कर रहे हैं।
जबकि इसके असली गुनहगार हमीं आप हैं
पानी की कमी का रोना भी तो आज रो रहे हैं
और तपती दोपहरी को कोस रहे हैं,
यकीनन हम खुद ही नहीं समझना चाह रहे हैं
कि तपती दोपहरी को निमंत्रण भी तो
हम आप ही हर दिन फागुनी भेज रहे हैं।

सुधीर श्रीवास्तव

Language: Hindi
1 Like · 11 Views

You may also like these posts

लाज शर्म की फाड़ दी,तुमने स्वयं कमीज
लाज शर्म की फाड़ दी,तुमने स्वयं कमीज
RAMESH SHARMA
* रेत समंदर के...! *
* रेत समंदर के...! *
VEDANTA PATEL
3630.💐 *पूर्णिका* 💐
3630.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
उड़ जा,उड़ जा पतंग,तू ऐसे रे
उड़ जा,उड़ जा पतंग,तू ऐसे रे
gurudeenverma198
द्वार मैं तेरे आऊं
द्वार मैं तेरे आऊं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
ममता
ममता
Rambali Mishra
वो  हक़ीक़त  पसंद  होती  है ।
वो हक़ीक़त पसंद होती है ।
Dr fauzia Naseem shad
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
Subhash Singhai
" सुनो "
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन
जीवन
Madhuri mahakash
सत्य चला ....
सत्य चला ....
संजीवनी गुप्ता
फितरत
फितरत
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मुस्कुराना ज़रूरी है
मुस्कुराना ज़रूरी है
Roopali Sharma
शाकाहार बनाम धर्म
शाकाहार बनाम धर्म
मनोज कर्ण
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
Phool gufran
कण कण में प्रभु
कण कण में प्रभु
Sudhir srivastava
"मन की संवेदनाएं: जीवन यात्रा का परिदृश्य"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क़ हो
इश्क़ हो
हिमांशु Kulshrestha
दोहा पंचक. . . . . वर्षा
दोहा पंचक. . . . . वर्षा
sushil sarna
16-- 🌸उठती हुईं मैं 🌸
16-- 🌸उठती हुईं मैं 🌸
Mahima shukla
आम के आम, गुठलियों के दाम
आम के आम, गुठलियों के दाम
अरविन्द व्यास
भूल गया
भूल गया
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
#तेवरी (हिंदी ग़ज़ल)
#तेवरी (हिंदी ग़ज़ल)
*प्रणय*
'मेरे गुरुवर'
'मेरे गुरुवर'
Godambari Negi
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
मीठे बोल
मीठे बोल
DR ARUN KUMAR SHASTRI
🥀प्रेम 🥀
🥀प्रेम 🥀
Swara Kumari arya
किण गुनाह रै कारणै, पल-पल पारख लेय।
किण गुनाह रै कारणै, पल-पल पारख लेय।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Loading...