तपती दुपहरी
तपती दुपहरी उपर से तेरी आंखे लाल इतना गुस्सा की सूरज भी हो जाए बेहाल इस गुस्से को क्यों नही दफनाते हो
हर तपन के बाद सावन आता है क्यों भूल जाते हो इस तपन के बाद वाले सावन का इंतजार कर पकड़कर विश्वास की डोर मुस्कुरा और इसी मुस्कुराहट से प्यार कर
Akash RC Sharma✍️©️