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24 Oct 2023 · 1 min read

तन्हा

मैं छोड़ आया हूं वो गलियां, जिनसे गुजरने की चाहत थी,
नीली आंखों का वो दरिया ,जिसमे कभी अपनी परछाई थी।

मैं मानता हूं इश्क का व्यापार , मुझे करना नही आता,

घाटे का सौदा है, ये बात कहां समझ में आई थी।

मैने तो अपना तन मन , अर्पण उसे किया था,

जिसको मेरे समर्पण में चाहत नही दिखाई दी।

अमित मिश्र

Language: Hindi
221 Views
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