तन्हा बिछड़ने का
तेरी जुल्फें हैं काली काली,
चमचमाती- सी नयन है तुम्हारी
तेरे लाल से गाल,
उस लाल गुलाबी होठों को सोचकर,
बार बार तेरी याद आ जाती है
और तब नम-नम सी हो जाती है मेरी आँखें,
कैसे कहूँ क्या बीत रहा मुझपर?
मेरे दिल के अंदर उथल-पुथल सी मच रही,
बेचैन सा रहता हूँ,
पाता कभी सपनों में तुम्हें,
गाता कभी तेरे लिए,
तेरी याद मुझे सता रही,
हूँ रहता परेशान
दिन-रात, सुबह-ओ-शाम,
तेरे बारे में सोच कर |
है मैंने बहा रखे अश्रु के धार तेरी यादों में,
क्या तुम्हें मैं कभी याद आता हूँ भी या नहीं ?
ये तू ही बता,
क्या खता थी मेरी ?
जो चली गई तू छोड़कर,
रह गया है यह दिल मेरा अकेला
गम के इस महफिल में,
तम को सहने के लिए |
एक बात कहूँ तुझसे,
तू अब भी रहती हो मेरे दिल में,
बहुतों को देखा अपने नयनों से,
पर जचता ही नहीं कोई तुझे छोड़ इन आँखों में |
पर अब भूलना चाहता हूं मैं तुम्हें,
तेरी यादों को छोड़कर दूर जाना चाहता हूँ,
इस गम की दुनिया में,
अकेला जीना चाहता हूँ मैं |