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7 Oct 2016 · 1 min read

तन्हा -तन्हा

गजल

तन्हा तन्हा क्यों है सोया चाँद
रूठा-रूठा सा है सोया चाँद

सूने आकाश में चाँद फिरता रहा
खफा होकर जरूर है रोया चाँद

गम के सागर में चाँद नहाता रहा
प्यार में तेरे जरूर है खोया चाँद

तारों बीच चाँद नाचता रहा होगा
प्रेम की पीडा को है भोगा चाँद

आज टूटी चाँदनी की तरूणाई यूँ
मधु भुज पाश में आबद्ध है होता चाँद

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