तन्हाई
होती हो अब जब तुम तन्हा तो क्या हमारी याद आती है अब जो तुम हंसती हो तो क्या वह सारी कलियां खिलखिलाती हैं
क्या तेरी रेशमी जुल्फों के उलझनें पर अब भी काली घटा छा जाती है
गुलाब मेरा जो किताबों में दबाई रखती थी क्या उसमें अभी खुशबू आती है
गीत जो मैंने मोहब्बत में लिखे थे तेरे लिए क्या तू अब भी गुनगुनाती है,
हर पल बिछड़ने के बाद याद करते हैं तुझको,
क्या तुमको मेरी याद आ जाती है
संदीप आनंद
बावलवाड़ा उदयपुर
राजस्थान