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28 Jan 2017 · 1 min read

तन्हाई

तन्हा बैठी थी तन्हाई मैं,
याद उनकी आई तन्हाई मैं.
तुम कहाँ और क्यों गये साहिब,
वर्षो हुए नहीं सोई तन्हाई मैं.
इस बेरुखी का सबब क्या है.
बता दो क्या खता हुई तन्हाई मैं.
इस कदर तन्हा हूँ मैं आज,
साथ नहीं परछाई तन्हाई मैं.
दूरी कब फासले मैं बदल गयी,
सोचें भूल किससे हुई तन्हाई मैं.
महफ़िल मैं तो खुद को रोके रखा,
आँसूओं की बरसात हुई तन्हाई मैं.
तुम्हारी धड़कन थी मैं कभी,
आज क्यों परायी हुई तन्हाई मैं,
तुम आये हो आज वर्षों मैं,
हिसाब की बारी आई तन्हाई मैं.
आरती लोहनी.

Language: Hindi
277 Views
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