तन्हाई
तन्हाई
तन्हाईयों ने जीना सिखलाया,
रातों ने गम पीना सिखलाया ।।
कभी गम अपनों ने दिए,तो कभी उम्मीदों ने….
सब जानकर खून के आँसू हमने पियें ।
तन्हाइयों ने हमें जीना सिखलाया,
रातों ने गम पीना सिखलाया ।।
समझ नहीं आता; क्या चाहती है दुनिया ?
भूलना चाहो तो, उसी को याद दिलवाती है दुनिया ।।
अपने उसूलों पर जियो तो वह बहकाती है दुनिया ।।
ताकतवर बनो तो चिडाती है दुनिया ।।
गम बतलाओ तो मजाक उड़ाती है
दुनिया ।।
सिर्फ अपने मतलब के लिए दिल लगाती है दुनिया।।
तुम किसी की कितना चाहो; कोई फर्क नहीं पड़ता; मतलब आने पर अंगूठा दिखलाती है दुनिया ।।