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23 May 2024 · 1 min read

तन्हाई बड़ी बातूनी होती है —

काव्य गीत सर्जन —
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है —
**********************************

बहकी यादों के साए में, दिल को तड़पा जाते हो।
मद्धम महकी सांसों में, सपनों सा घुल जाते हो।
मुझे बाँहों में ले हँसते, मीठी बातें करते हो।
मद्धम महकी साँसों में, सपनों सा घुल जाते हो।।

जब चाँद चले मन अँगना, नयनों में मुस्काते हो।
नींद नहीं आती आँखों में, नज़राना तुम लाते हो।
वो चाँदनी रसभरी रातें, कुछ जादू कर जाते हो।
मद्धम महकी सांसों में, सपनों सा घुल जाते हो।।

सजना तुम परदेस गए क्यों, मैं बनी बाबरी डोलूँ।
नित आन सरोवर तट पर, कुछ विरह वेदना धोलूँ।।
पिया फागुनी प्रीत सताए, सुरभित विरहन की रातें हो।
मद्धम महकी सांसों में,सपनों सा घुल जाते हो।।

ये विरह यामिनी अब बीते, तुम लौट पिया घर आओ।
मिलन सुहाना हो अपना, अब साजन गले लगाओ।।
खड़ी खम्ब का लिए सहारा, उठती हूक मिटा जाते हो।
मद्धम महकी सांसों में, सपनों सा घुल जाते हो।

✍️ सीमा गर्ग ‘मंजरी’
मौलिक सृजन
मेरठ कैंट उत्तर प्रदेश।

Language: Hindi
30 Views
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