तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई मुझ में जीने लगीं
खालीपन मेरे अंतस का
अनचाहे ही भरती रहीं
कतरा कतरा तेरी यादों का
शिद्दत से जीती रही
महफ़िल अब शोर लगतीं
तन्हाई महबूब बनीं
हिमांशु Kulshrestha
तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई मुझ में जीने लगीं
खालीपन मेरे अंतस का
अनचाहे ही भरती रहीं
कतरा कतरा तेरी यादों का
शिद्दत से जीती रही
महफ़िल अब शोर लगतीं
तन्हाई महबूब बनीं
हिमांशु Kulshrestha