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21 Aug 2024 · 1 min read

तन्हाई को जीते जीते

तन्हाई को जीते जीते
तन्हाई मुझ में जीने लगीं
खालीपन मेरे अंतस का
अनचाहे ही भरती रहीं
कतरा कतरा तेरी यादों का
शिद्दत से जीती रही
महफ़िल अब शोर लगतीं
तन्हाई महबूब बनीं

हिमांशु Kulshrestha

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