तन्हाई के बसेरे में बह रहा है
तन्हाई के बसेरे में बह रहा है,
यादों का आलम गहरा उतर रहा है।
दिल की तरंगों में अब बहक जाएँ,
एक गुनगुनाहट सुनहरी मधुर उठ रही है।
आहटें एक तरफ, सपनों की बारिश दूसरी तरफ,
बुन रही हैं दरिया-ए-गम की रेज़ तरफ।
दर्द की नौका तनहा लहरों में ढली है,
गहराईयों से गुजरते बिना चिट्ठी बिखरी है।
मोहब्बत के रंगीन पन्नों पे,
संगीत दर्द का बन चुका है महकता।
आँखों की नमी आँसू बनकर बह जाती है,
जब बादल दिल का आँसू बनकर गिरता।
खुशियों की चिराग़ेँ बुझ गईं जबसे,
उदासी का समंदर लहर उठ रहा है।
रात की चाँदनी बादलों के साथ लुट गई,
मधुशाला का एक सिपाही चुरा ले गया।
ख्वाबों की आबरू हंसी के दरिया में गयी,
दिल की गहराइयों में छुपी बैठी रह गई।
इश्क की राह में जीने का जरिया बना,
जुबाँ पे छलक रही एक नौबत सी बह गई।
आँसू बहाने का जज्बा बिखर रहा है,
होंठों पर मुस्कराहट, कानो का ग़ुस्सा उठ रहा है।
दर्द और उम्मीदों की सज़ा मिलती है,
इस गज़ल के सुरों में ज़िन्दगी जगमग उठ रही है।