तन्हाई के आलम में।
तन्हाई के आलम में जिंदगी अलहदा जी रहे है।
अपने ही घर में देखो हम बनकर मेहमां रह रहे है।।1।।
कभी हम हुआ करते थे महकते फूले गुलशन।
पर अब सबकी ही नज़रों में हम बागवां हो गए है।।2।।
रिश्तों की तपिश में ना वो गर्मजोशी रह गई है।
सारे के सारे ही हमारी जिंदगी से खफा हो गए है।।3।।
मोहब्बत बन के बरसते थे बहार ए गुलशन में।
आज लगे जैसे बंजर जमीन के आसमां हो गए है।।4।।
शिकवे गीले ना थे किसी को हमसे जिंदगी में।
अब तो हम शिकायतों का बड़ा अम्बार हो गए है।।5।।
हर किसी की नज़र में ही हम नूर ए नज़र थे।
सभी को लगता है हम रिश्तों में बेवफ़ा हो गए है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ