#तनिक रुक जाओ
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★ #तनिक रुक जाओ ★
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◆तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ
◆प्राची रक्ताभ नहीं अभी
कलियों के नयन मुंदे हुए
मालिन रात के हाथों में
तारों के हार गुंदे हुए
रंगहीन हैं अभी प्रिये
सांझे सपने बुने हुए
◆तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ
●रातें जा जा लौट आएंगी
मेरे चँदा धीर धरो
अपने दिन हों उजियारे
हे दिनकर उद्योग करो
तनिक रुक जाओ बोल सुहाने
मिलनपुष्प से गोद भरो
◆तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ
◆शीतल चँद्रिका आग लगाती
झुलसाती है तन और मन
उधारी का उजियारा लेकर
चाँद जताता अपनापन
लौट लौट आएंगी ऋतुएँ
नहीं लौटेगा नवयौवन
◆तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ
●इंद्रधनुष के सातों रंग
झूले झूलनहारा जो
नाव में पाँव धरे वही
जिसका सखा किनारा हो
वो भी सौ सौ बरस जिये
जिसने कभी पुकारा हो
●तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ
◆विरहवेदना ताप सहेगा
भृंगीप्रिय मतवारा भृंग
आयुरसरी कुतर रहा
तीखे दांतों समय का पिंग
तुम जो दे दो साथ प्रिये
पाँव तले संसारीशृंग
◆तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ
●पीतल की कलसी में जल
कर्ण स्वर्ण से शोभित हों
कंठ प्रेम की विजयमाल
अधर लाज से लोहित हों
लौटूँगी सुनकर पुकार
प्रियजन साक्षी समाज पुरोहित हों
◆तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ
●श्रीहीन जन खड़ा ठूँठ
वन में निपट अकेला हो
क्षुब्ध पशु संग रार ठने
अपनों बीच झमेला हो
रुकना रुक जाना रुक ही जाना
जीवन हो न कि खेला हो
●तनिक मुस्काओ
तनिक मुस्काओ
◆तनिक रुक जाओ
तनिक रुक जाओ . . . . . !
९४६६०-१७३१२
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)