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18 Feb 2024 · 1 min read

तनाव

इस लौकिक जगत में
स्थित प्रज्ञ सा सुदृढ़मना होकर भी
सदा सुरक्षित नहीं तुम मुझसे
मैं तनाव तुम्हारे मन में
निर्मित जीवन दर्शन के
सुरक्षा कवच को छेद कर
गहन अंतस को भेद कर
शांत मस्तिष्क को भी
झंकृत कर देने की
क्षणिक क्षमता रखता हूं
यदा कदा तुम्हारे धैर्य को
परखता हूं
पर जनाव ! मैं ठहरा तनाव
आखिर कब तक स्थिर रहूं
तुम्हारे सृजनरत मानस में
परास्त होना होता है मुझे
तुम्हारे सकारात्मक चिंतन की
संचित शक्ति के समक्ष
अंततः मानस से विलुप्त होना
मेरी नियति है

Language: Hindi
1 Like · 110 Views
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