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4 Jun 2023 · 1 min read

तनख्वाह

पूरे माह बदन को, तोड़ के कमाता हूँ तो,
हाथ मेरे एक मुट्ठी, तनख्वाह आती है।

छोटी सी कमाई देख, मन खिल उठता है,
आँखों में ख़ुशी की नई चमक जगाती है।

धन्ना सेठ मन सब्र, छोड़ ऐश‌ करता है,
ख्वाहिशें मचल कर, जी को ललचाती है।

बीस दिन में ही उड़, जाती है कमाई सारी,
ख़ाली हाथ बाकी दिन, तारे गिनवाती है।

रिपुदमन झा ‘पिनाकी’
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
1 Like · 189 Views

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