तथाकथित धार्मिक बोलबाला झूठ पर आधारित है
सबकी अपनी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक यानि अर्थव्यवस्था की समझ होनी चाहिए ।।
ताकि आपका कोई प्रयोग यानि हथियार बना कर प्रयोग ना कर सके,,
अगर आप थोड़े बहुत दूर-दृष्टि रखते हैं, तो आपको मालूम होगा,,
आपको कर्जदार बनाने की मुहिम चलाई जा रही है,, एक मध्यम-वर्गीय परिवार,, कर्ज़ तले डूबते जा रहा है,, उसके लिए न शिक्षा और न ही चिकित्सा सुविधाएं मिल पा रही है,
न ही उसका भविष्य उज्ज्वल वा न ही सुरक्षा की कोई गारंटी है ।।
अस्सी करोड़ लोगों का जिक्र तो, छोड़ ही दीजिये
मुफ़्त कुछ होता नहीं है,
साहब !!
जिस देश में “सुदामा कोटा” को पक्का कर दिया हो, जल्दी से भरने की मुहिम,, आपकी वोट पक्का करने जैसा है,
सरकारों का काम है,
रोजगार पैदा करना,
यहां तो रोजगार छीन रहे है,
जिस किसी को हमारे समाज ने “धर्म और धार्मिक अनुमोदन के लिए तैयार” किये थे ।।
वे तो राजनीति में जा रहे है,
क्यों ??
क्योंकि धर्म का आधार सच पर आधारित नहीं है
वह सिर्फ़ धरातल है,
राजनीति में प्रवेश करने का,
या यूं कहे,
राजनीति में भौतिकता मौजूद है,
जन-सेवक का टैग,
तथाकथित धर्म में कुछ गड़बड़ी है,
“मुंह में राम, बगल में छूरी”
“सब गुड़, सत्तर सेर”
“हरियाणा सरकार” ने नाथ-सम्प्रदाय” पर एक लोकोक्ति पर विधानसभा में प्रतिबंध लगा दिया,
अब बोल और लिख भी नहीं सकते ।।
जब तथाकथित धर्म काम हु नहीं करता,
तो फिर कानून के तहत काम होने दो,
“तीन तलाक” पर कानून लाना पड़ा ।।
धार्मिक कुरीति थी,
तथाकथित धर्म ने क्या किया ।।
“बाल-विवाह” सती-प्रथा “बाल-मजदूरी”
सब कानून से खत्म हुआ ।।।
तथाकथित धर्म करता क्या है ।।।
ऐसे में धारण करने जैसा बचता क्या है ।
जो सत्य, अहिंसा, शील का परोकार नहीं कर सकता,, तो व्यर्थ है ।।।।