” तड़प “
एक रात ख़्वाबों में
छूकर गया था तू
लबों पर लाल रंग
और चेहरा नुर से भरा,
करके गया था तू।
खोएं थे हम भी
तेरे इश्क़ की महक में
भूल बैठे थे दुनिया
तेरी ही चहक में
इश्क़ का रंग लगा
धानी – धानी सा
एक ख़्वाब था मेरा,
हक़ीक़त सा..
ना जानें ये ख़्वाब मेरा
कब दूरियां मिटाएं
टूटकर नींद मेरी
फिर एक तड़प रह जाएं।