तडपन का शोर है ।
तडपन का शोर है ।
उल्फत का जोर है ।।
जहाँ जहाँ चाँद है ।
संसार चकोर है ।।
यह कैसा हुश्न है ।
आशिक का चोर है ।।
कैसा संसार है ।
नहीं शांति ठौर है ।।
कैसा रसिक मन है ।
पत्नी साथ ओर है ।।
भेजा व आंखें है ।
नहीं करे गौर है ।।
सूर्य ना है चमके ।
वहाँ कहाँ भोर है ।।
भूख, शोर शोर है ।
मानव कमजोर है ।।
जहाँ विषय प्यास है ।
चरित्र कमजोर है ।।
अरविन्द व्यास “प्यास”