!! तजुर्बा !!
यूं ही नहीं कोई किसी को
समझा जाता है
चाहे बड़ा हो या हो छोटा
कुछ बता जाता है
तजुर्बा है ही चीज ऐसी
वकत से आ ही जाता है
ठोकर जब तक न लगे
तब तक समझ न पाता है
होंसला रखो आसमान को
छू लेने का चाहे मन में
इंसान वहां पर अपना
रूतबा जमा ही आता है
कश्ती को ऐसे ही नहीं
चला लेता है चलाने वाला
कितनी गहराई कहाँ है
उसका अनुभव ही तो बताता है
सीखो किसी से भी
सिखने में कभी गुरेज न करो
अगर सीखना है किसी से भी
पूछने में कभी परहेज न करो
अजीत कुमार तलवार
मेरठ