तकलीफ और शिकायतें
तकलीफ किसे
बस शिकायतें हैं,
जमाना गुजर गया
तारीफ सुने हुए,
होती गर तकलीफ,
जरूर मिट गई होती,
बस शिकायतों का चिट्ठा है,
पढ कर प्रशासन में उच्च पद पाना है,
शिकायतों की पहेली को सुलझाना है,
सुलझ गई, तो वाह वाही पाना है,
वरन् दिलाशा देकर वेतन पाना है,
शिकायतें हैं तकलीफ नहीं,
होती गर तकलीफ,
मिट गई होती अब तक,
शिकायत है इसी लिए,
पहुंच गई मुझ तक,
वरन् भूख है रोटी की,
सिर्फ़ कहना था,
मिट गई होती, अब तक.
तकलीफ में
आत्म-सम्मान अड़चन नहीं है बनता,
शिकायतें हों,
आत्म सम्मान ही सर्वप्रथम
है, अड़चन बनता,
शिकायतें शिकायतों पर ही जिंदा है,
तकलीफ तो,
दूर होने के बाद,
फिर नहीं उभरती,
शिकायतें रजिस्टर है भरती,
तकलीफ दूर होने पर भी,
शिकायतें जिंदा रहती,
इसलिए तकलीफ के समाधान को,
समाज है बसता,
शिकायतों के लिए,
प्रशासन और सरकारें है जिंदा,
हर समस्या का समाधान संभव है,
शिकायतें लाइलाज़ है रहती,
हर तरह के,
समाधान से बाहर है, रहती,
बार बार उभर कर सामने आती,
तकलीफ किसे,
बस शिकायतें है,
होती गर तकलीफ़,
मिट गई होती,
शिकायतें हैं,
शिकायतों पर जिंदा है,.