तकरार धूप और एसी की
सर्दी में एसी से छत पर
धूप कहे इतराए।
मेरे तो दीवाने सब
तू यहाँ पड़ा कुम्हलाये।
मेरे कतरे की भी क़ीमत
मुझे देख सब मुस्काये।
पाने मुझे रहें सब आतुर
गर्म वस्त्र से चैन न आये ।
मेरी संगत पाकर उनको
आनन्द ही आनन्द आ जाए
ना निकलू तो देखेँ रस्ता
नभ में टकटकी लगाये
एसी बोला घमंड ये बहना
कुछ दिन ही रह पाये
गर्मी के दिन आने दे
तू किसी से सही ना जाये।
तुझसे ही बचने की खातिर
ये मोटे पर्दे लटकाये ।
बाहर भी निकले गर कोई
पूरा ही ढक कर जाये।
आज तू हंस ले दिन सर्दी के
सब तुझको गले लगायेँ।
तपती गर्मी में मेरे बिन
कोई रह ना पाये
समय समय की बात है
ये समय बदलता जाये।
आज जो तेरे अपने हैं
कल यही मुझे अपनाये
डॉ अर्चना गुप्ता