तकनीकी शिक्षा संघ के प्रांतीय संयोजक श्री गोपाल शर्मा जी की विदाई पर
मनके मधुबन में आज मित्र, स्वर्णिम यादों का मेला है
विदा हो रहे गोपाल कृष्ण, सुदामा आज अकेला है
मनके मधुबन में आज मित्र, स्वर्णिम यादों का मेला है
जाते हो तो जाओ प्रिय, यादों के सहारे जी लेंगे
जब याद तुम्हारी आएगी, मुस्कान तुम्हारी पी लेंगे
फिर भी मधुबन में ढूंढगे, गोपाल कृष्ण अलबेला है
मनके मधुबन में आज मित्र, स्वर्णिम यादों का मेला है
आना-जाना नियम सरकारी, सब आते हैं सब जाते हैं
विरले होते हैं लोग यहां, जो दिल पर छाप लगाते हैं
आज विदा की बेला में, मन पंछी बहुत अकेला है
मनके मधुबन में आज मित्र, स्वर्णिम यादों का मेला है
जाओ खुशी-खुशी कृष्णा, हम तुमको भुला ना पाएंगे
संग संग जो समय बिताया, गीत वही दोहराएंगे
जहां रहेंगे गोपाल कृष्ण, वहां मंगल की शुभ बेला है
मनके मधुबन में आज मित्र, स्वर्णिम यादों का मेला है
भारी मन से आज मित्र, हम सभी विदा करते हैं
स्वस्थ रहें और मस्त रहें, यही दुआ करते हैं
नहीं भुलाना हम सबको, ये दुनिया का मेला है
मनके मधुबन में आज मित्र, स्वर्णिम यादों का मेला है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी