— तकदीर —
जो सताए गए हों तकदीर से
वो कैसे किसी को सतायेंगे
ठोकर खा खा कर तो
वो अपना जीवन बिताएंगे
दर्द का एहसास तो उस को
होता है जिस ने चोट खाई हो
जिस के दिल पर न चोट लगी हो
तो दूसरों को कैसे बता पाएंगे
मत खेलो कभी किसी के दिलों से
यह खेल पल दो पल का होता है
जिस ने अपने सारे अरमान डुबो दिए
भला फिर वो कैसे उभर पाएंगे
अजीत कुमार तलवार
मेरठ