तंत्र मजे में गण परेशान है
तंत्र मजे में गण परेशान है
क्या यही सपनों का हिंदुस्तान है?
चले गए अंग्रेज गए राजे महाराजे
प्रजातंत्र की राजनीति में नेता आन विराजे
नेता आन विराजे जनता परेशान है
नित नए भ्रष्टाचार से हलाकान है
कुछ तो अंग्रेजों से निकृष्ट और वेईमान हैं
धर्म जाति वर्ग भेद अंचल भाषा, कटु जवान है
वोट बैंक की राजनीति पर चल रही दुकान है
तंत्र मजे में गण परेशान हैं
क्या यही सपनों का हिंदुस्तान है?
जागो गण जागो?
अपने बोट को मंत्र बनाओ
चुन कर अच्छा तंत्र बनाओ
भ्रष्ट और बेईमानों को
अपने गणतंत्र से दूर भगाओ
देश को सच्चा गणतंत्र बनाओ
जय हिंद
सुरेश कुमार चतुर्वेदी