ढूंढे तुझे मेरा मन
ढूंढे तुझे मेरा मन
हैरान हूं,
परेशान हूं,
तुझसे अलग हूं,
पर,हरेक पल ढूंढे तुझे मेरा मन
बेचैन जिंदगी ढूंढे तुझे
कितनी मोहब्बत
कितनी शिद्दत
नेमत जिसने मोहब्बत पाई ।
बाछें खिल जाती है।
जिंदगी फूलों जैसी हंसी लगती है।
कहती है ये दुनियां
– डॉ. सीमा कुमारी।
4-10-024की स्वरचित रचना है मेरी।