ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब…
ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब,
सब होते जा रहे परिंदे अब ।।
कुछ मतलबी कुछ मजबूर हैं,
इसी लिए आज सबसे दूर हैं ।।
दोस्ती अब छलावा बन गयी,
इस दौर में दिखावा बन गयी ।।
कभी दोस्त जान हुआ करते,
अब दोस्त जान लिया करते ।।
सबको मतलब से अपने प्यार,
कैसे करें पसंद हम ये संसार ।।
अब यहाँ अच्छा नहीं लगता है,
कोई शख़्स सच्चा नहीं लगता है ।।
बताओ…..
ये संसार छोड़ जाएं क्या….??
सबसे नाता तोड़ जाएं क्या…??
तुम सब अपने में ख़ुश हो,
सबसे मुँह मोड़ जाएं क्या…..??
#हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️