Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2024 · 1 min read

ढीठ बनने मे ही गुजारा संभव है।

ढीठ बनने मे ही गुजारा संभव है।

सच ही कहा गया है कि जब तक ठोकर नही मिलती तब तक अक्ल नही आती और हमने तो अब हमारे समाज से इतनी ठोकरें खा ली है कि अक्ल भी आ गयी है और हम ढीठ भी हो गए हैं। अब हम माफ तो करते हैं पर दिल से उसकी जगह साफ भी कर देते हैं। दरअसल ये दुनिया, ये समाज बहुत ही अजीब है। आप जितना सुनेंगे ये उतना सुनाते रहेंगे। आप एक बार दबेंगे ये आपको हमेशा दबाते रहेंगे। आप इनकी हां में हां मिलाएंगे, ये खुश हो जाएंगे। आप इनका सच कहेंगे ये आपको बुरा बनाएंगे। मत ध्यान दीजिए कौन आपका बारे में क्या कहता है। आप अच्छे हैं या बुरे हैं यह आप खुद से पूछिए…. अपने कर्मों से निर्णय लीजिए। ढीठ बनने मे ही गुजारा संभव है, नही तो लोग आपका फायदा उठाने मे ज़रा भी नही सोचेंगे। यकीनन सबकी सुनिए पर फैसला अपनी बुद्धि विवेक से ही लिजिए।

22 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन और मृत्यु के मध्य, क्या उच्च ये सम्बन्ध है।
जीवन और मृत्यु के मध्य, क्या उच्च ये सम्बन्ध है।
Manisha Manjari
गुलाब
गुलाब
Satyaveer vaishnav
*भाग्य विधाता देश के, शिक्षक तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*भाग्य विधाता देश के, शिक्षक तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
समन्वय
समन्वय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
दस्त बदरिया (हास्य-विनोद)
गुमनाम 'बाबा'
संगीत................... जीवन है
संगीत................... जीवन है
Neeraj Agarwal
नवम दिवस सिद्धिधात्री,
नवम दिवस सिद्धिधात्री,
Neelam Sharma
"हास्य व्यंग्य"
Radhakishan R. Mundhra
दुख
दुख
Rekha Drolia
हया
हया
sushil sarna
फूल यूहीं खिला नहीं करते कलियों में बीज को दफ़्न होना पड़ता
फूल यूहीं खिला नहीं करते कलियों में बीज को दफ़्न होना पड़ता
Lokesh Sharma
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गीता ज्ञान
गीता ज्ञान
Dr.Priya Soni Khare
"जलाओ दीप घंटा भी बजाओ याद पर रखना
आर.एस. 'प्रीतम'
*अज्ञानी की कलम से हमारे बड़े भाई जी प्रश्नोत्तर शायद पसंद आ
*अज्ञानी की कलम से हमारे बड़े भाई जी प्रश्नोत्तर शायद पसंद आ
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अपनी मर्ज़ी के
अपनी मर्ज़ी के
Dr fauzia Naseem shad
गुलाब दिवस ( रोज डे )🌹
गुलाब दिवस ( रोज डे )🌹
Surya Barman
रिश्तों में बेबुनियाद दरार न आने दो कभी
रिश्तों में बेबुनियाद दरार न आने दो कभी
VINOD CHAUHAN
जीवन से पहले या जीवन के बाद
जीवन से पहले या जीवन के बाद
Mamta Singh Devaa
"किस किस को वोट दूं।"
Dushyant Kumar
हम लिखते हैं
हम लिखते हैं
Dr. Kishan tandon kranti
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
तभी लोगों ने संगठन बनाए होंगे
Maroof aalam
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
🙅भड़ास🙅
🙅भड़ास🙅
*प्रणय प्रभात*
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
Rj Anand Prajapati
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
शेखर सिंह
पास तो आना- तो बहाना था
पास तो आना- तो बहाना था"
भरत कुमार सोलंकी
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...