ढ़लती उम्र और रिश्ते
सही कहते हैं
ढ़लती उम्र
हक़ीकत और ख़्वाब में
ठीक से भेद नहीं कर पाती है
था जब तक लुटाने को
प्रेम पाता रहा
जो आज नहीं कुछ तो
मेरी तस्वीर के लिए
फ्रेम खरीदने को
बाजार चल दिया
वाह रे प्रेम तूने
किन-किन से
रिश्ता जोड़ रखा है
समझ नहीं पाया
—- सुनीलपुरोहित —-
जोधपुर( राजस्थान )