ढक्कन – कहानी
मोहित अपने परिवार के साथ झुग्गी – झोपड़ी वाले इलाके में रहता था | माता – पिता दोनों दैनिक मजदूरी किया करते थे | घर में एक बहन भी थी जिया | जिया और मोहित की माँ आसपास के बड़े घर के लोगों के यहाँ झाड़ू – पोछे का काम करती थीं | मोहित के पिता पास ही एक फैक्ट्री में
काम किया करते थे | मोहित के पिता को शराब पीने का शौक था सो वे घर में किसी भी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं किया करते थे | घर का खर्च किसी तरह से चल रहा था | घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद भी जिया के ब्याह को लेकर घर में सभी चिंचित थे |
घर का माहौल ठीक न होने की वजह से भी मोहित पढ़ाई नहीं कर सका और दोस्तों के साथ आवारागर्दी में समय बिताने लगा | अपना खर्च चलाने के लिए वह दोस्तों के साथ कभी किसी का पर्स चुराने लगा तो कभी रेलवे स्टेशन पर किसी का पॉकेट मारने लगा | यहाँ तक कि वह महिलाओं के गले से सोने की चैन की झपटमारी भी करने लगा | कई बार वह जेल भी हो आया | घर वाले भी कोशिश कर चुके पर मोहित पर इसका कोई असर नहीं होता था | घर वालों ने मोहित को कई बार समझाया कि किसी दूकान पर काम कर ले या सब्जी का ठेला ही खोल ले | पर उसे तो रातों – रात अमीर बनना था | सो घर वालों की बातों को अनसुना कर देता |
धीरे – धीरे मोहित की आदतें बिगड़ने लगीं | वह पुलिस को बेवकूफ बनाने की कोशिश करता किन्तु उसकी ज्यादातर घटनाएँ सी सी टी वी कैमरे में रिकॉर्ड हो जातीं जिसके कारण वह कई बार पुलिस के चंगुल में फंस गया | छोटी – छोटी हरकतों के कारण उसे सजा भी छोटी मिलती इसलिए उस पर इनका कम असर होता | मोहित और उसके दोस्त कोई नया तरीका खोजने लगे ताकि काम भी हो जाए और घटना कहीं रिकॉर्ड भी न हो और जेल जाने से बच जाएँ | उनके दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न शहर के बाहर की सड़कों पर सीवरेज पर लगे ढक्कनों को चुराया जाए | सो वे सभी इस काम पर लग गए | इस काम से उन्हें अच्छी रकम हाथ लगने लगी | जो रकम मिलती सब बराबर – बराबर बाँट लेते और अगली रात फिर वही ढक्कन को चुराने का खेल शुरू |
एक दिन सुबह – सुबह मोहित के घर पर उनके पडोसी जो मोहित के पिता के साथ फैक्ट्री में काम करते थे ने आकर बताया कि मोहित के पिता फैक्ट्री से लौटते वक़्त रात को सीवरेज टैंक में गिर गए और उन्हें अस्पताल पहुंचा दिया है आप लोग जाकर देख लो | उनकी हालत गंभीर है | मोहित . उसकी माँ और बहन को पता चला तो वे अस्पताल भागे पर वहां जाकर पता चला कि मोहित के पिता की मृत्यु हो गयी है | यह सुनते ही मोहित को अपने आप से नफरत होने लगी कि जिस सीवरेज टैंक में गिरकर उसके पिता की मृत्यु हुई उसका ढक्कन उसने ही एक रात पहले चुराकर बेच दिया था | मोहित को एहसास ही नहीं था कि उस टैंक में गिरकर किसी की मृत्यु भी हो सकती है |
मोहित ने ये बात किसी को नहीं बतायी पर उसने मन ही मन निश्चय किया कि आज के बाद मैं ऐसे कोई भी गंदे काम नहीं करूंगा और मेहनत करके ही दो वक़्त की रोटी जुटाऊँगा | मोहित की मेहनत रंग लायी और उसने अपनी मेहनत की दम पर अपनी बहन की शादी भी की और अपनी माँ को भी लोगों के घर काम करने से मना किया | वे सभी एक खुशहाल जिन्दगी व्यतीत करने लगे |