डॉ भीमराव अम्बेडकर
संविधान के शिल्पी – डॉ अम्बेडकर
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भारत भू में मानवता का, एक यही आधार।
संविधान देता हमको, जीने का अधिकार।।
बाबा साहब का सपना था, स्वर्ग बने यह देश।
एक समान रहे यह जीवन,सुखमय हो परिवेश।
नहीं ग़रीबी हो जीवन में, निश्चित ही हो आय।
जन-जन का सम्मान बढ़े नित,मिले सभी को न्याय।
भाई के मन भाई खातिर,नहीं रहे प्रतिकार।
संविधान देता हमको, जीने का अधिकार।।
नही हानि हो कभी देश का,सदा रहे उत्कर्ष।
दुख पीड़ा से दूर रहे सब, मन में नित हो हर्ष।
भारत के हर घर में होवें, नारी का सम्मान।
संविधान में लिखा हुआ है, यह भी परम विधान।
नही नैन में अश्रुधार हो, और नहीं चितकार।
संविधान देता हमको, जीने का अधिकार।।
वंचित नहीं रहे शिक्षा से,अब कोई भी लोग।
मिट जाए अज्ञान गरीबी,अश्पृश्ता का रोग।
बाबा साहब के कर्मो में,थे पावन उपकार।
उनके ही कारण भारत में,है सुखमय संसार।
इसलिए मन में बहता है,प्रेम गंग की धार।
संविधान देता हमको, जीने का अधिकार।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर” ✍️✍️