— डेल्टा प्लस का खौफ्फ़ —
समझ से परे का किस्सा लगता है
अब डेल्टा प्लस का शोर मचता है
जीना दूभर हुआ अब जीवन का सब का
मुझे तो फिर से दाल में काला ही दिखता है !!
लोग वीरान कर दिए इस खौफ्फ़ ने
घर से बेघर कर दिए इस रोग ने
जैसे तैसे लोगों की जिन्दगी को सकूंन आया
अब फिर से धूम मचने लगी
डेल्टा डेल्टा के शोर से !!
कौन क्या चाहता है, समझ नही आता
इस कोरोना और डेल्टा का किस से है नाता
जब जी आया भगा दिया , अपने जोर से
अब जैसे निमंत्र्ण से बुलाया बड़ों बड़ों के जोर ने !!
अस्पताल में जाकर जिस ने इलाज कराया
बंद पैकेट में बिना सांस के वो घर आया
कौन कर रहा है व्यापार ,किस के पास है समाधान
गड़बड़ , घोटाला चल रहा है चारों ओर रे !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ