” डूब जाऊं झील से गहरे नयन ” !!
ढूंढता रहा जिसे गगन गगन !
तुम उजाले की वही किरन किरन !!
उम्र की दहलीज़ पर यौवन खड़ा !
मुस्कराए शाख पर जैसे सुमन !!
नज़रें उठा कर देखलो जिस और तुम !
डोल जाये झूम कर बैरागी मन !!
ख़ामोश आँखों में छुपी गहराइयाँ !
करवट बदल कर जागते सोये सपन !!
अंजुरी भर रंगों को और बिखरा दो !
डूब जाऊं झील से गहरे नयन !!