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3 Sep 2023 · 1 min read

*डूबतों को मिलता किनारा नहीं*

डूबतों को मिलता किनारा नहीं
**************************

डूबतों को मिलता किनारा नहीं,
तुम बिना कोई सहारा नहीं।

देख ली दुनिया घूमकर हमनशीं,
इस जगत में तुमसा हमारा नहीं।

आसमां मिलने को धरा चाहता,
यूँ चमकता नभ में सितारा नहीं।

देखते रहते राह हम तो आपकी,
आपका समझा वो इशारा नहीं।

हो गये आदी आपके हम यहाँ,
हो न पाए जग में गुजारा नहीं।

ख्वाब मनसीरत है रहे देखता,
ख्याल में भी रहना कुंवारा नहीं।
*************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

173 Views
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