डूबता सूरज हूंँ या टूटा हुआ ख्वाब हूंँ मैं
डूबता सूरज हूँ या टूटा हुआ कोई ख्वाब हूँ मैं
बंद कमरे में अकेला जलता हुआ चिराग हूँ मैं
डूबना सूरज हूँ ……………
महफिलों में हँसता रहा धड़कनों में बसता रहा
लबलबाते जाम से छलकी हुई सी शराब हूँ मैं
डूबता सूरज हूँ…………….
जिंदगी कोई गीत है मगर सुर है ना ही संगीत है
शाम की तन्हाई में बस एक तड़पता राग हूँ मैं
डूबता सूरज हूँ…………….
मौत का कोई डर नहीं है सांसों की खबर नहीं है
जिंदगी को जला डाला एक दहकती आग हूँ मै
डूबता सूरज हूँ…………….
फितरत नहीं मायूस होना और आँशूओं में डूबना
बहुत किया बर्बाद उसने पर अभी आबाद हूँ मैं
डूबता सूरज हूँ…………….
खुद को जब खामोश पाया तब मुझे ये होश आया
उसने लगाया दाग “विनोद”आज भी बेदाग हूँ मैं
डूबता सूरज हूँ…………….
बंद कमरे में अकेला……….