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23 May 2024 · 4 min read

डीएनए की गवाही

अभी तक आप सभी ने फिल्मों मे ही इस तरह की कहानी देखी होगी लेकिन आज रूबरू कराते है आपको 30 वर्ष पुरानी एक सच्ची घटना से
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बात है सन 1994 शाहजहांपुर की जया (पीड़िता )उम्र 12 वर्ष की जो अपने बहन बहनोई के साथ उनके ही घर रह रही थी, वहीं कुछ दूर मोहल्ला जलालनगर निवासी नकी हसन उर्फ़ ब्लेडी ड्राइवर और उसका छोटा भाई गुड्डू रहते थे।

बहनोई वन विभाग मे कार्यरत थे बहन एक प्राइवेट स्कूल मे अध्यापिका थीं
दोनों सुबह काम के सिलसिले मे अपने अपने काम पर निकल जाते थे जया घर मे अकेली रह जाती थी, इधर नकी हसन(25 वर्ष )और उसका भाई गुड्डू (22वर्ष )दोनों जया पर गन्दी नजर रखते थे एक दिन बहन बहनोई दोनों बाहर थे तभी मौके का फायदा उठाकर दोनों ने उसके घर मे घुसकर उसके साथ दुष्कर्म करते है , उन हवस के प्यासे हैवानों ने ये भी नहीं सोचा अभी उसकी उम्र ही कितनी है वो एक मासूम बच्ची जिसकी उम्र अभी 12 वर्ष वो भी 1994 मे आज का समय मे फिर भी मोबाइल ने बच्चों को बिगाड़ रखा है लेकिन उस समय मोबाइल का इतना प्रचलन भी नहीं था, अभी तो उसने ये अंदाजा भी न लगाया होगा मेरे साथ कोई कुकृत्य हो सकता है अरे अभी तो वो दुनियां के तौर तारीकों से वाकिफ भी नहीं थी, लेकिन इन दरिंदो हैवानों ने उसे अपना शिकार बना लिया।

उन्होंने सिर्फ दुष्कर्म ही नहीं किया बल्कि उसे मारा धमकाया जिससे वो बेचारी डर गयी और उससे दो वर्ष तक दुष्कर्म करते रहे बात यहीं खत्म नहीं होती जया अल्प आयु मे ही प्रग्नेंट हो जाती है शर्म से किसी को कुछ बताती भी नहीं कुछ दिन छुपाती है लेकिन जब गर्भावस्था मे है तो छिपेगा कैसे, उसके बहन बहनोई को भी शक होता है जब वे पूछते है तो फिर वह सारी बात बताती है अब बहनोई नकी हसन और गुड्डू के घर जाकर शिकायत करते है तो दोनों भाइयों ने जया के परिजनों को डराया धमकाया और जान से मारने की धमकी दी जिससे जया के बहन बहनोई काफ़ी डर गए और उन्होंने कहीं भी शिकायत नहीं की।

इधर जया का गर्भपात कराने के लिए डॉक्टर के पास ले गए लेकिन कम उम्र होने के कारण डॉक्टर ने गर्भपात करने से मना कर दिया, समय बीतता है और जया के बहन बहनोई समाज के डर और लोकलाज के डर से उसे रामपुर ले आते है जहाँ 13 वर्ष की उम्र मे उसने एक बच्चे को जन्म दिया, परिजनों ने लोकलाज के डर से बच्चे को हरदोई के एक रिश्तेदार को सौंप दिया।
धीरे-धीरे घटना को 6 वर्ष बीत जाते है और उसके परिजन उसका विवाह सन 2000 में गाज़ीपुर के एक व्यक्ति से कर देते हैं
जया सब कुछ भूलकर सुखमय जीवन यापन करने लगती है विवाह के दो वर्ष होते है और जया एक बच्चे को जन्म देती है समय बीतता है विवाह को 6 वर्ष होते है इधर जया के पति को जया की सारी पिछली घटना के बारे में पता चल जाता है इस पर दोनों की काफ़ी बहस और लड़ाई होती है लड़ाई इतनी बढ़ जाती है की सम्बन्ध विच्छेद हो जाते है अब जया करे तो करे क्या उसे उसका पति घर से निकाल देता है और वो आकर एक गुमनाम जीवन यापन करने लगती है।

समय बीतता है उधर उसका बड़ा बेटा जो रिश्तेदार को सौंपा था वो बड़ा हो जाता है और हाईस्कूल का फॉर्म भरने के लिए वो अपने माता पिता का नाम पूछता है रिश्तेदार कुछ बताते नहीं, तो वो अपने माता पिता का पता करते हुए सन 2012 में (अब बेटा 17 वर्ष का हो जाता है )अपनी माँ जया के पास आ जाता है, और उनसे यही सवाल बार-बार पूछता है की माँ मेरे पिता का नाम क्या है बेटे का बार -बार आग्रह करना जया को अंदर तक झकझोर रहा था उसे बहुत कष्ट हो रहा था आँखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे जब बेटा नहीं मानता है पूछता ही रहता है तो क्रोध में झल्लाकर रोते हुए कहती है :- तुझे पिता का नाम चाहिए तो सुन तेरा पिता है नकी हसन और गुड्डू जिन्होंने मेरा जबरन रेप किया दुष्कर्म किया और उन्ही के इस कुकृत्य से तू जन्मा है वही हैं तेरे पिता

( शायद वो बेटे को पिता का नाम नहीं बताना चाहती थी उसे डर था उसका बेटा उसके लिए क्या सोचेगा कैसी है उसकी माँ)
इतना सुनते ही बेटा माँ को रोता देखकर उसे गले लगा लेता है।

इधर बेटा माँ को आश्वासन देता है और उसकी कसम खाता है माँ तुम्हें इंसाफ दिलाकर रहूँगा। धीरे-धीरे समय बीतता है और बेटा, नकी हसन और गुड्डू का पता लगा लेता है, सन 2021 में शहर के सदर थाने में उसका बेटा नकी और गुड्डू पर केस दर्ज कराता है घटना को काफ़ी समय हो चुका था कोई साक्ष्य नहीं मिल पा रहा था पुलिस भी परेशान हो गयी साक्ष्य जुटाने में, फिर क्या एक साक्ष्य था वो था जया का बड़ा बेटा क्योंकि बेटे का डीएनए ही था जो उन्हें इंसाफ दिला सकता था, बेटे ने डीएनए टेस्ट कराया, जो की नकी हसन से मिल गया, अब उसे न्याय मिलने पर कोई नहीं रोक सकता था।

पुलिस ने दोनों आरोपी भाइयों को अदालत भेज दिया जहाँ जया के केस की पैरवी करते सरकरी वकील भावशील शुक्ला ने काफ़ी मेहनत से 2 वर्ष तक पैरवी की इसके बाद अपर न्यायाधीश लवी यादव ने 21 मई 2024 दिन मंगलवार को फैसला सुनाया जिसमें दोनों दोषियों को नकी हसन उर्फ़ ब्लेडी ड्राइवर और गुड्डू को 10-10 वर्ष का कारावास व 30-30 हजार रूपये का जुर्माना भी बोला है।

हालाँकि जुर्म को देखते हुए दोषियों की सजा बहुत कम है ऐसे दरिंदो की कठोर से कठोर सजा होनी चाहिए,, ( मेरा मत है ऐसे जुर्म पर सजा-ए-मौत ही होनी चाहिए )

पीड़िता का नाम – “जया” काल्पनिक है

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