डिअर कलम
डिअर कलम ,
मैने तुमको कभी थैंक्यू नहीं बोला । शायद मैने तुम्हारी मौजूदगी को महसूस करते हुए भी तुम्हें याद नहीं किया , तुम मुझे हमेशा सही जगह जो मिल जाया करती हो । में कैसे भूल सकता हूं तुम्हे, तुम मेरी डायरी के इन पन्नों पर अपनी क़दमों की छाप जो छोड़ती हो , जैसा में चाहता हूं तुम बिल्कुल वैसा ही तो करती हो , कभी कुछ नहीं बोलती बस मेरे खयालों के अनुरूप तुम अनवरत मेरी अंगुलियों के सहारे चलती जाती हो । मुझे याद है ,जब में अधूरे किस्से कहनियो को पूरा करते वक्त तुम्हे कई दफा गुस्सा में टेबल पर पटक दिया करता था , तब भी तुमने मेरा साथ कभी नहीं छोड़ा ,और नहीं तुमने कभी थम जाने का जिक्र किया । तुमने मेरी कितनी ही गलतियों पर पर्दा डाला है, थैंक्यू कलम तुम ना होती तो मेरे लफ्जो को इन पन्नों पर कोन सुरक्षित रखता । और कौन मुझे पहचान देता ।
तुमने मेरे साथ कितनी ही किस्से कहानियों , ग़ज़लों , शायरियो , में अपनी भूमिका निभाई , और मुझे अच्छे से याद है ,तुम ही तो थी जिसने कई बरसात की शामों में देर रात आए ख़यालो को मोमबत्ती के सहारे मेरी इस डायरी में तुमने ही उतारा था । मुझे सब याद है । में तुम्हारा दिल से शुक्रिया अदा करना चाहता हूं ।