डा. अम्बेडकर बुद्ध से बड़े थे / पुस्तक परिचय
‘डा. अम्बेडकर बुद्ध से बड़े थे’ डा दिनेश कुमार (दलित साहित्यकार एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में सहायक प्राध्यापक) द्वारा लिखी गयी एवं इसी वर्ष, 2019, में प्रकाशित आलोचना पुस्तक है।
पुस्तक पटना में आज ही हस्तगत हुई है जो ख्यात दलित लेखक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डा. श्यौराज सिंह ‘बेचैन’ की मार्फ़त प्राप्त हुई है। प्रोफेसर बेचैन अभी एक साहित्यिक सम्मान पाने के क्रम में पटना में हैं।
पुस्तक के कुछ पन्नों की इमेज इस स्टेटस के साथ नत्थी कर रहा हूँ ताकि आपको अंदाज़ा मिल सके कि आलोचना पर यह काम कितना मौलिक और परंपरा से हटकर है। इमेज की मार्फ़त किताब का मज़मून देखकर ही कुछ बुद्ध-भक्त टाइप के लोग जहाँ अपनी नाक-भौंह सिकोड़ ले सकते हैं, खार खा बैठ सकते हैं, इसे ख़ारिज कर सकते हैं वहीं अम्बेडकर-भक्त भी सदमे में आ सकते हैं, क्योंकि इन दोनों महापुरुषों के भक्त टाइप के लोग प्रायः दोनों की अभिन्न या कि संयुक्त भक्ति पर होते हैं।
हालाँकि तटस्थता जैसी कोई चीज़ नहीं होती लेकिन डा. दिनेश के इस काम में मान्य आलोचक लोग ‘पराए’ बुद्ध के प्रति पूर्वग्रह से चालित होना और, ‘अपने’ अम्बेडकर के प्रति अधिकाई लाड़ दिखाता पाएँगे।
कुछ दलित-गैरदलित बुद्धिजीवी तो अपने अपने तरीकों और तर्कों से सिरे से इस काम को ख़ारिज भी कर देंगे। डा. दिनेश कबीर विषयक अपने विराट-विवादित मग़र, महत आलोचना कार्य के लिए इतिहास में दर्ज डा. धर्मवीर खेमे के दलित चिंतक माने जाते हैं और इस माने जाने के पर्याप्त कारण भी हैं।
पुस्तक का गेट-अप शानदार है, मग़र, 472 पृष्ठों की हार्ड बाउंड पुस्तक का मूल्य ₹995, पॉकेट को असहज करने वाला है।
इस कृति को देखने-परखने की जिम्मेदारी मुझपर भी आ पड़ी है। देखता हूँ कि इस पुस्तक का मेरा मूल्यांकन कहाँ जाकर स्थिर होता है। अपने जानते पुस्तक पर अपनी निर्दोष स्थापना देने का यत्न रहेगा, न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर भाव बरतते हुए!
बहरहाल, इस लीक से हटकर दीखते कार्य को सम्पन्न करने एवं पुस्तकाकार रूप में सार्वजनिक करने के लिए कृतिकार डा. दिनेश राम को बहुत बधाई एवं आलोचनात्मक दृष्टि से पुस्तक पढ़ने एवं इसपर प्रतिक्रिया आमंत्रण करने हेतु पुस्तक-प्रति भेजने हेतु बहुत आभार!
~ डा. मुसाफ़िर बैठा