Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2017 · 1 min read

डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ के चुनिन्दा मुक्तक

1.रखना खुश दिल
रहना हिल मिल
तोड़ना आसान,
जोड़ना मुश्किल.
000
मुश्किल से लड़ें .
ह्रिदयों से जुड़ें.
ज़मीन पर चलें,
हवा में न उड़ें.
000

द्वेष बढ़ने न दें, क्रोध चढ़ने न दें . थिति जैसी भी हों, प्यार घटने न दें . @डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ अधिवक्ता /साहित्यकार (COPYRIGHT RESERVED)

Language: Hindi
223 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मेरे जब से सवाल कम हैं
मेरे जब से सवाल कम हैं
Dr. Mohit Gupta
***
***
sushil sarna
💐प्रेम कौतुक-434💐
💐प्रेम कौतुक-434💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ समझदार टाइप के नासमझ।
■ समझदार टाइप के नासमझ।
*Author प्रणय प्रभात*
मैं भी चुनाव लड़ूँगा (हास्य कविता)
मैं भी चुनाव लड़ूँगा (हास्य कविता)
Dr. Kishan Karigar
अस्थिर मन
अस्थिर मन
Dr fauzia Naseem shad
*हिम्मत जिंदगी की*
*हिम्मत जिंदगी की*
Naushaba Suriya
आदम का आदमी
आदम का आदमी
आनन्द मिश्र
भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
भले ही तुम कड़वे नीम प्रिय
Ram Krishan Rastogi
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
हर सांस की गिनती तय है - रूख़सती का भी दिन पहले से है मुक़र्रर
Atul "Krishn"
मेघ, वर्षा और हरियाली
मेघ, वर्षा और हरियाली
Ritu Asooja
गांव की याद
गांव की याद
Punam Pande
Remembering that winter Night
Remembering that winter Night
Bidyadhar Mantry
हे माधव
हे माधव
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
Manoj Mahato
सत्य उस तीखी औषधि के समान होता है जो तुरंत तो कष्ट कारी लगती
सत्य उस तीखी औषधि के समान होता है जो तुरंत तो कष्ट कारी लगती
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
हर गलती से सीख कर, हमने किया सुधार
Ravi Prakash
क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये
क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये
gurudeenverma198
वो शिकायत भी मुझसे करता है
वो शिकायत भी मुझसे करता है
Shweta Soni
3341.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3341.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
"जख्म"
Dr. Kishan tandon kranti
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
हर किसी के पास एक जैसी ज़िंदगी की घड़ी है, फिर एक तो आराम से
हर किसी के पास एक जैसी ज़िंदगी की घड़ी है, फिर एक तो आराम से
पूर्वार्थ
चलती है जिन्दगी
चलती है जिन्दगी
डॉ. शिव लहरी
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
चांद चेहरा मुझे क़ुबूल नहीं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
सत्य आराधना
सत्य आराधना
Dr.Pratibha Prakash
वैशाख का महीना
वैशाख का महीना
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
माँ
माँ
Raju Gajbhiye
हकमारी
हकमारी
Shekhar Chandra Mitra
Loading...