डायरी~अंतिम पृष्ठ
आज डायरी के अंतिम पृष्ठ पर
एक बात लिखी उसने
सभी ख़्वाबों सभी स्वप्नों की
सौगात लिखी उसने
हम समझे कि भूल गए वो
मगर रब से फ़रियाद लिखी उसने
एक दर्द-ए-जिगर था हल्का सा
बस गुजरी याद लिखी उसने
सभी स्वप्नों सभी ख़्वाबों की
सौगात लिखी उसने
हमारी खामोशी भी
मुस्कुराहट के साथ लिखी उसने
अनसुनी कहानी के इन पन्नों पर
अपनी और मेरी बात लिखी उसने
बस दर्द-ए-जिगर था हल्का सा
फिर गुजरी याद लिखी उसने
अब जो पलटा पेज़ पुराना
उसने मेरा साथ दिया
कभी लगा कि तड़प रहे हम
आज फिर उसने याद किया
‘भंडारी’ नाम के साथ
एक पहचान लिखी उसने
डायरी के अंतिम पृष्ठ पर
यही बात लिखी उसने