Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2021 · 3 min read

डर

27• डर
आज जंगल उस पार डेरापुर में नेता जी का भाषण था। पार्टी के लोग बुधिराम के गाँव परसुपुर कल आए थे ।अब 15 मील जाने के लिए सरकारी बस तो चलती थी लेकिन वह शाम 7 बजे बंद होकर वापस डिपो चली जाती थी ।हालांकि नेता जी के आने का समय तो सायं 4 बजे का था, लेकिन नेता जी का क्या! व्यस्त लोग होते हैं और समय से आना कम ही हो पाता है ।इसलिए बुधिराम ने अपनी मोटर साईकिल से ही जाना तय किया ।सोचा कि डेरापुर में तेल और हवा गाड़ी में भर जाएगी । ऐन वक्त पर हेलमेट लेकर जब चलने को तैयार हुआ तो उसी की उम्र के 20-22 के दो पड़ोसी लड़के भी साथ चलने की जिद कर बैठे।लाख कोशिश की उसने कि रास्ता खराब है, तीन सवारी ठीक नहीं, कोई एक साथ चले चलो, लेकिन दोनों में से कोई भी अलग से जाने को तैयार नहीं हुआ।अंततः तीनों मोटर साईकिल से डेरापुर चल पड़े ।
उधर नेता जी को बगल के गाँवों में खातिर-बात में देर हो गई और डेरापुर कहीं साढ़े पांच बजे के बाद ही पहुँच पाए।ठंडी का समय था ।अंधेरा छा गया ।भाषण के बाद तीनों दोस्तों की वापसी शाम 8 बजे के बाद ही संभव हो पाई। रास्ते में जंगल के बीच की सड़क पार करते समय एकदम घुप्प अंधेरा था ।ये तो कहिए मोटर साईकिल की बैटरी नई थी और हेडलाइट की रोशनी तेज़ थी। हेलमेट लगाए गाड़ी चलाते बुधिराम आगे और साँय-साँय करती ठंडी हवा से बचते पीछे दुबके बैठे उसके दोनों साथी तेज़ चले जा रहे थे कि अचानक एक हादसा हो गया ।
अंधेरी सड़क पर सामने यमराज के दर्शन हो गए।वापसी में न जाने जंगल के किस कोने से शेर और शेरनी आकर सड़क के बीचो-बीच बैठ गए थे ।मोटर साईकिल की हेडलाइट जैसे ही उनके ऊपर पड़ी,वे फुर्ती से उठ खड़े हुए और हमले की मुद्रा में आ गए। इधर चालक बुधिराम के तो उनकी गर्जना सुनकर होश ही उड़ गए ।वह इतना डर गया कि मोटर साईकिल सीधे भगाने के बजाय उसके हाथों से हैंडल ही छूट गया ।गाड़ी सड़क पर सरकती हुई पास ही लुढ़क गई ।उधर मौका पाते ही हिंसक जानवरों ने तुरंत हमला कर दिया ।दोनों पीछे बैठे सवारों की तो तुरंत ही मृत्यु हो गई । शेरनी शिकार में व्यस्त हो गई । लेकिन शेर फिर फुर्ती से उछला और इसबार उसने बुधिराम का सिर हेलमेट के साथ ही जबड़े से पकड़ लिया ।चंद पलों में ही जब उसे धातु निर्मित हेलमेट कुछ अटपटा-सा लगा तो बुधिराम को एकदम से छोड़ दिया ।बुधिराम की बुद्धि अभी सोलहो आने सही थी। इससे पहले कि शेर दुबारा किसी और दिशा से पकड़ पाता, वह तेजी से भागकर पास के एक बड़े पेड़ पर चढ़ गया और वहीं काफी ऊपर बैठे नीचे क्रोधित शेर की भयानक दहाड़ पूरी रात सुनता हुआ ईश्वर से प्रार्थना करता रहा ।रात बीती तो वन विभाग के कर्मचारियों के साथ उन्हें ढूंढते हुए गाँव के लोग पहुंचे और रोते-बिलखते जीवित बचे बुधिराम को गाड़ी से गाँव ले गए
काश! बुधिराम बिना डरे-घबराए गाड़ी भगा ले गया होता तो दो जानें और बच गई होतीं । तभी कहते हैं, डरना ही मृत्यु है । जो डर गया, सो मर गया ।
********************************************
—राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,मौलिक/स्वरचित,19/07/2021•

Language: Hindi
1 Like · 490 Views
Books from Rajendra Gupta
View all

You may also like these posts

आजकल कुछ सुधार है प्यारे...?
आजकल कुछ सुधार है प्यारे...?
पंकज परिंदा
आतंक और भारत
आतंक और भारत
Sanjay ' शून्य'
आदमी हैं जी
आदमी हैं जी
Neeraj Agarwal
प्रशंसा
प्रशंसा
Dr fauzia Naseem shad
**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **
**तुझे ख़ुशी..मुझे गम **
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
!! मैं कातिल नहीं हूं। !!
जय लगन कुमार हैप्पी
माँ महागौरी है नमन
माँ महागौरी है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
*ऋषिगण देते हैं शाप अगर, निज भंग तपस्या करते हैं (राधेश्यामी
*ऋषिगण देते हैं शाप अगर, निज भंग तपस्या करते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
सब कहते हैं की मजबूरियाँ सब की होती है ।
सब कहते हैं की मजबूरियाँ सब की होती है ।
Ashwini sharma
Typing mistake
Typing mistake
Otteri Selvakumar
बड़े ही खुश रहते हो
बड़े ही खुश रहते हो
VINOD CHAUHAN
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
" दीदार "
Dr. Kishan tandon kranti
जिदंगी हर कदम एक नयी जंग है,
जिदंगी हर कदम एक नयी जंग है,
Sunil Maheshwari
यौवन
यौवन
Ashwani Kumar Jaiswal
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
दीया इल्म का कोई भी तूफा बुझा नहीं सकता।
Phool gufran
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
दस्तक
दस्तक
Satish Srijan
यदि लोग आपको एक अच्छे इंसान के रूप में देखना चाहते हैं, तो व
यदि लोग आपको एक अच्छे इंसान के रूप में देखना चाहते हैं, तो व
पूर्वार्थ
4301.💐 *पूर्णिका* 💐
4301.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बढ़ता कदम बढ़ाता भारत
बढ़ता कदम बढ़ाता भारत
AMRESH KUMAR VERMA
निजता के इस दौर में,
निजता के इस दौर में,
sushil sarna
तुम्हारा
तुम्हारा
Deepesh Dwivedi
■ आज का महाज्ञान 😊
■ आज का महाज्ञान 😊
*प्रणय*
काजल की महीन रेखा
काजल की महीन रेखा
Awadhesh Singh
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
हरीश पटेल ' हर'
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
आश्रम
आश्रम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
काफिला
काफिला
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बिहार से इस युवा-कलम से परिचय कीजिये / मुसाफिर बैठा
बिहार से इस युवा-कलम से परिचय कीजिये / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Loading...