डर सा लगता है
खामोशियां
ही तो पहचान थी मेरी
आजकल तो इन्हीं से
डर सा लगता है
सच कहूँ जान
अब आपको खोने से
डर सा लगता है
बात बात पर लड़ना
कभी हसाना
कभी रुलाना
बेवजह ही
रूठना मनाना
तेरी ये सारी
बचकानी हरकतें
और नादनियों में
छुपा मासूम सा प्यार
किनारे से छेड़खानी करती
किसी लहर सा लगता है
सच कहूँ जान
अब आपको खोने से
डर सा लगता है
क्या अपने
क्या पराये
कैसे सपने
कैसे साये
सबको छोड़ने को जी चाहता है
अपनों की शिकायतें
जमाने की रिवायतें
सबको तोड़ने को जी चाहता है
ले जाये जो
मुझे आपसे दूर
हर रुख को मोड़ने को जी चाहता है
जानता हूं जान
शायद हम नहीं एक दूजे के लिये पर
आजकल तो ऐसा ख्याल भी
जहर सा लगता है
सच कहूँ जान
अब आपको खोने से
डर सा लगता है
अलग सा ही फितूर है
यादों मे़ं ही चूर है
बेवजह मुस्कुराना
आपको गुनगुनाना
मेरी परछाई से भी ज्यादा
तो आप मेरे करीब हो गये हो
कहीं भी रहूँ
बस आपकी ही बातें
आपकी ही यादें
यार अब तो हर
शहर भी आपका ही
शहर सा लगता हैं
सच कहूँ जान
अब आपको खोने से
डर सा लगता है
फुल्की बैटरी छिपकली सी
कुत्ती कमीनी मन्चली सी
डाइन चुरैल नागिन
यार तुम इन्हें ही अपनी तरीफ़
समझ लिया करो ना
कभी तो मेरी नादनियों
को मुहब्बत जान
मुस्कुरा दिया करो ना
तुम ना बिल्कुल
परियों सी हो
पर अन्जान हो
यार तुम
मेरी जान हो
कैसे कहूँ यार मेरे पास ऐसे लफ्ज़ भी तो नहीं है
आपकी तारीफ़ मे़ं तो यार
चांद भी बेअसर सा लगता है
सच कहूँ जान
अब आपको खोने से
डर सा लगता है
एक झोके से
टूट जाऐ
ऐसी डोर तो ना थे
बात बात पे
रो दे
इतने कमजोर तो ना थे
बेनूर
सी राहें
जाने किस संसार में
रहते थे
जीने का
कोई शोक नहीं
हर वक्त हादसे
के इंतजार में
रहते थे
जाने कब तक का साथ
हमारा तुम्हारा
कुछ भी हो लिखा अपने नसीब में
ऐ दिल सबसे
बेखबर सा लगता है
सच कहूँ जान
अब आपको खोने से
डर सा लगता है