डर किस बात का है
डर किस बात का है
जब साथ तुम्हारा है
मेरे हाथों में हाथ तुम्हारा है
तुम कुछ कहो में कुछ कहु
तुम खुशबू बन जाओ मैं पवन बन बहु।
ये साथ कभी पृथक न होगा
प्रेम के अखबार में यह शिर्षक होगा
जीवन भर साथ दिया
बनके एक निर्मल दीया
ये दीया को बहुत दूर ले जाना है
सिर्फ तुम्ही हो मेरे प्यार के साथी
यही आज तक माना है
तुम कुछ कहो में कुछ कहु
तुम पूरब बन जाओ मैं सूरज बनके उग आउ
आसमान की लाली में मैं पूरब में सामाउ
ओर रोज सबेरे उठ के में तुम्हे देखना चाहु
तुम पूरब बन जाओ मैं सूरज बन उग आउ
आसमान की लाली में मैं पूरब में समाउ