डरे आदमी से स्वंय…
करें प्रगति परआपकी , कोई कैसे नाज़ ।
डरे आदमी से स्वयं,अगर आदमी आज ।।
किसको अपना हम कहें,कहें किसे अब गैर ।
अपनो के अपने अगर,……लगे खींचने पैर ।।
रमेश शर्मा.
करें प्रगति परआपकी , कोई कैसे नाज़ ।
डरे आदमी से स्वयं,अगर आदमी आज ।।
किसको अपना हम कहें,कहें किसे अब गैर ।
अपनो के अपने अगर,……लगे खींचने पैर ।।
रमेश शर्मा.